ASHTAVAKRA GITA

ASHTAVAKRA GITA


भ्रान्तिमात्रमिदं विश्वं न किञ्चिदिति निश्चयी।

निर्वासनः स्फूर्तिमात्रो न किञ्चिदिव शाम्यति।।15.17।।