ASHTAVAKRA GITA

ASHTAVAKRA GITA


न मे बन्धोऽस्ति मोक्षो वा भ्रान्तिः शान्ता निराश्रया।

अहो मयि स्थितं विश्वं वस्तुतो न मयि स्थितम्।।2.18।।