ASHTAVAKRA GITA

ASHTAVAKRA GITA


क्व प्रवृत्तिर्निवृत्तिर्वा क्व मुक्तिः क्व च बन्धनम्।

कूटस्थनिर्विभागस्य स्वस्थस्य मम सर्वदा।।20.12।।