AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


त्रितयतुरीयं नहि नहि यत्र

विन्दति केवलमात्मनि तत्र।

धर्माधर्मौ नहि नहि यत्र

बद्धो मुक्तः कथमिह तत्र।।74।।

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