‹‹ ‹ › ››
AVADHUTA GITA
निष्पापपापदहनो हि हुताशनोऽहं निर्धर्मधर्मदहनो हि हुताशनोऽहम्।निर्बन्धबन्धदहनो हि हुताशनोऽहं ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।10।।