AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


रागादिदोषरहितं त्वहमेव तत्त्वं

दैवादिदोषरहितं त्वहमेव तत्त्वं।

संसारशोकरहितं त्वहमेव तत्त्वं

ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।19।।

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