AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


स्थानत्रयं यदि च नेति कथं तुरीयं

कालत्रयं यदि च नेति कथं दिशश्च।

शान्तं पदं हि परमं परमार्थतत्त्वं

ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।20।।

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