AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


दीर्घो लघुः पुनरितीह न मे विभागो

विस्तारसंकटमितीह न मे विभागः।

कोणं हि वर्तुलमितीह न मे विभागो

ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।21।।

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