AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


निर्नाथनाथरहितं हि निराकुलं वै

निश्चित्तचित्तविगतं हि निराकुलं वै।

संविद्धि सर्वविगतं हि निराकुलं वै

ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।29।।

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