AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


कान्तारमन्दिरमिदं हि कथं वदामि

संसिद्धसंशयमिदं हि कथं वदामि।

एवं निरन्तरसमं हि निराकुलं वै

ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।30।।

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