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AVADHUTA GITA
सम्भूतिवर्जितमिदं सततं विभाति संसारवर्जितमिदं सततं विभाति।संहारवर्जितमिदं सततं विभाति ज्ञानामृतं समरसं गगनोपमोऽहम्।।32।।