AVADHUTA GITA

AVADHUTA GITA


अवधूत उवाच

ओं इति गदितं गगनसमं तत्

न परापरसारविचार इति।

अविलासविलासनिराकरणं

कथमक्षरबिन्दुसमुच्चरणम्।।1।।

[edit_node]