KAPILA GITA

KAPILA GITA


देवहूतिरुवाच

निर्विण्णा नितरां भूमन्नसदिन्द्रियतर्षणात्।

येन सम्भाव्यमानेन प्रपन्नास्मि तमः प्रभो।।1.1।।

[edit_node]