SRUTI GITA

SRUTI GITA


क इह नु वेद बतावरजन्मलयोऽग्रसरं

यत उदगादृषिर्यमनु देवगणा उभये।

तर्हि न सन्न चासदुभयं न च कालजवः

किमपि न तत्र शास्त्रमवकृष्य शयीत यदा।।12।।

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